कुछ हमारी अधूरी अल्फाज🌸
कुछ हमारी अधूरी अल्फाज🌸
रुसवा वक्त है रुसवा है खामोशी!
क्या ख्याल था वो जिस में तुम नहीं थे!
समय की धारा में जिंदगी चल रही!
बीतते हुए लम्हों में वक्त में
आशिया सवरती रही!
वक्त थमता नहीं गमे वजूद में,
जख्म सीने में और दर्द है दिल में,
सपने उलझते गए खुदगर्जी में,,
वक्त यूं ही बितता गया है जीने में!
क्या बेदर्द वह हवा थी ,,
जो आग लगा गई सीने में,,
दिखता रहा वह कारवां,
जहां सफर का पड़ाव था!
जहां मैं था मेरी तन्हाई थी,
वक्त का वह सितम था,,
और यह कुछ अधूरे अल्फाज!
बयां नहीं होता जिंदगी का वह मंजर,,
जहां ख्याल थी ,जहां फिक्र था!
रिश्तों में ना दर्द थी,, ना कद्र था!
यूं ही सिमटती हुई, बेचैनी ने एक आहट ली!
यूं ही एक सवेरा था यूं ही एक सांझ थी,,
आशाओं की एक नई पवन थी,,
कहीं सुनहरी बादलों कि कुछ छांव!
मन की फिक्रमंदी में कैद थी,,
कुछ हमारी अधूरी अल्फाज!
- Archit Savarni🌸
Mohammed urooj khan
08-Mar-2022 04:26 PM
Nice
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Seema Priyadarshini sahay
07-Mar-2022 05:30 PM
बहुत खूबसूरत
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Marium
06-Mar-2022 06:04 PM
बहुत खूब
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